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Mujh Nirdhan Pe - Kavita Krishnamurthy

Mujh Nirdhan Pe

Kavita Krishnamurthy

00:00

04:39

Song Introduction

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Lyric

मुझ निर्धन पे दृष्टि दया की

कब होगी, ओ, माँ बतला दे?

कब होगी, ओ, माँ बतला दे?

मुझ निर्धन पे दृष्टि दया की

कब होगी, ओ, माँ बतला दे?

कब होगी, ओ, माँ बतला दे?

आर ना जानूँ, पार ना जानूँ

आर ना जानूँ, पार ना जानूँ

दुनिया का व्यवहार ना जानूँ

पथ में अँधेरा इतना गहरा

पथ में अँधेरा इतना गहरा

अँधियारे में दीप जला दे

मुझ निर्धन पे दृष्टि दया की

कब होगी, ओ, माँ बतला दे?

कब होगी, ओ, माँ बतला दे?

प्यास बुझे ना, दीप जले ना

आस भी मन की कोई फले ना

प्यास बुझे ना, दीप जले ना

आस भी मन की कोई फले ना

विनती है तुझसे, ओ, मेरी माता

विनती है तुझसे, ओ, मेरी माता

उजड़े वन में फूल खिला दे

मुझ निर्धन पे दृष्टि दया की

कब होगी, ओ, माँ बतला दे?

कब होगी, ओ, माँ बतला दे?

पग मेरे जलते, आँसू निकलते

पग मेरे जलते, आँसू निकलते

अपने-पराये सब मुझे छलते

बिछड़ी हैं खुशियाँ, कब से ना जाने!

बिछड़ी हैं खुशियाँ, कब से ना जाने!

खुशियों से तू अब तो मिला दे

मुझ निर्धन पे दृष्टि दया की

कब होगी, ओ, माँ बतला दे?

कब होगी, ओ, माँ बतला दे?

कब होगी, ओ, माँ बतला दे?

- It's already the end -